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ईश्वर की हत्या / चन्द्र गुरुङ
Kavita Kosh से
वो साधारण और नेक इंसान था
सबसे पहले उसकी प्रेमपूर्ण स्पर्शचेता
उंगलियों को छीन लिया गया
उसके परोपकारी हाथों को तोड़ दिया गया
इसके बाद
निर्दोष चेहरे को क्षत-विक्षत किया गया
सत्य पर चलने वाले पैर तोड़ लिए गए
मृदुभाषी जीभ निकाल दी गई
दबा दी गई उसकी मधुर बोली
आखिर में चिथड़े-चिथड़े कर दिया उसका दिल
आज सुबह
अखबार वाला लड़का इस घटना को
चिल्लाते हुए फ़िर रहा है
ईश्वर की हत्या !
ईश्वर की हत्या !!
ईश्वर की हत्या !!!