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उगते आसमान में तारे अच्छे लगते हैं / रंजना वर्मा
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उगते आसमान में तारे अच्छे लगते हैं
हम को सारे साँझ सकारे अच्छे लगते हैं
ठहरा हुआ झील का पानी है हमको भाता
मदहोशी से भरे नज़ारे अच्छे लगते हैं
सर्द हवायें बहती नदिया है कितनी प्यारी
बादल औ पानी के धारे अच्छे लगते हैं
गरजा करता है सागर तूफ़ान डरा जाता
कश्ती को पतवार किनारे अवच्चे लगते हैं
जीवन कितना मुश्किल है रपटीली राहों पर
बाहों के मजबूत सहारे अच्छे लगते हैं
शीतल पवन सुहाती हमको चन्दन वन वाली
नर्म घटा के केश संवारे अच्छे लगते हैं
अम्मा के हाथों की रोटी लगती है मीठी
बाबा करते दुआ हमारे अच्छे लगते हैं