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उन घरों में जहाँ मिट्टी के घड़े रहते हैं / मुनव्वर राना

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उन घरों में जहाँ मिट्टी के घड़े रहते हैं
क़द में छोटे हों मगर लोग बड़े रहते हैं

जाओ जा कर किसी दरवेश की अज़मत देखो
ताज पहने हुए पैरों में पड़े रहते हैं

जो भी दौलत थी वो बच्चों के हवाले कर दी
जब तलक मैं नहीं बैठूँ ये खड़े रहते हैं

मैंने फल देख के इन्सानों को पहचाना है
जो बहुत मीठे हों अन्दर से सड़े रहते हैं