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उसने कहा था... / प्रेमचन्द गांधी
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याद करते रहना
मगर रोना नहीं
मन करे तो चिट्ठी लिखना
लेकिन, डाकिए की राह
कभी मत देखना
मैं न रोया
न चिट्ठी लिखी
हाँ, याद रखा उसका जाना
और जो उसने कहा था
प्रेम की पीड़ा में
बिना रोये ही
सूख गयीं आँखें
चिट्ठियाँ लिखना तक भूल गये हाथ