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ऊँचे टॉवर्स / शरद कोकास
Kavita Kosh से
ऊँचे टॉवर्स की खिड़कियों से
छन-छन कर आती रौशनी
भली लगती है
इनकी रौशनी में नहीं दिखाई देते
अपने दुख-दर्द
इन रौशनियों के पीछे छुपे दुख-दर्द भी
कहाँ दिखाई देते हैं।
-2009