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ऋतुचक्र / विनोद शर्मा

कहने को हर साल बसंत भी आता है
और पतझड़ भी
मगर बसंत में मनुष्य जितना खिलता है
उससे कहीं ज्यादा मुरझा जाता है पतझड़ में

इसलिए हर साल के अंत में
जिंदगी की बैलेंसशीट में दर्ज होता है घाटा

दरअसल बसंत एक रंगीन लिफाफा है
जिसमें बंद है एक खत
जिसमें दर्ज है
पतझड़ के आने की सूचना।