भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

एक इस्राइली यहूदी और एक अरब के बीच बातचीत / समीह अल कासिम / अनिल जनविजय

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

— मेरे पितामह जले थे ऑशविज में
— मेरी सहानुभूति उनके साथ है, पर मेरे
              शरीर से अलग करो ये ज़ंजीरें
— तुम्हारे हाथ में क्या है?
— एक मुट्ठी बीज
— तुम्हारे चेहरे पर गुस्से का रंग है
— धरती का रंग है यह
— अपनी तलवार को बदल डालो फाल में
— तुमने ज़रा भी तो ज़मीन नहीं छोड़ी
— तुम एक अपराधी हो !
— मैंने किसी को मारा नहीं, हत्या नहीं की कभी,
               प्रताड़ित नहीं किया किसी को !
— तुम एक अरब हो, कुत्ते हो !
— ख़ुदा तुम्हारी रक्षा करे, लोगों से प्रेम करो,
                      सूर्य के लिए बनाओ रास्ता !

अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय