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एक प्रभो! अबलंब तुम्हीं / अनुराधा पाण्डेय
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एक प्रभो! अबलंब तुम्हीं, जग में अरु घात निपात बडौं हैं।
दीन दयालु कृपालु प्रभो! मग बाधक विघ्न पहाड़ खडौ हैं।
भक्त-अभक्त न भेद करो, प्रभु! मानव भेद-विभेद करौं है।
रक्ष्य करो बिन भेद किए, पितु! कै अघ नाशक नाम पडौ हैं।