भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
एक यात्रा के दौरान / दो / कुंवर नारायण
Kavita Kosh से
सुबह चार बजे मुझे एक ट्रेन पकड़ना है।
मुझे एक यात्रा पर जाना है।
मुझे काम पर जाना है।
मुझे कहाँ जाना है
दशरथ की पत्नियों के प्रपंच से बच कर ?
मुझ तरह तरह के कामों के पीछे
कहाँ कहाँ जाना है ?
कहाँ नहीं जाना है ?