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एकदन्त, गजवदन, चतुर्भुज / हनुमानप्रसाद पोद्दार

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(राग रामकली-तीन ताल)

एकदन्त, गजवदन, चतुर्भुज, गणनायक विघ्रेश।
 जय-जय भव-भय-हर लबोदर, मंगलमय देवेश॥
 अहि-शशि-जटा-मुकुटधर शंकर गंगाधर भगवान्‌।
 जय-जय बाघ-भालुचर्माबरधर विश्वेश महान्‌॥