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ऐ मौजे-सबा मुझको यूँ ही रहने दे / रमेश तन्हा

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ऐ मौजे-सबा मुझको यूँ ही रहने दे
मत छोड़ ख़यालों में यूँ ही बहने दे
जाती है तो पैग़ाम ही, चल लेती जा
जो कह न सका आज वो सब कहने दे।