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ओर मेरे प्रात के सपने / अवतार एनगिल
Kavita Kosh से
ओ मेरे प्रात के सपने !
मुझे न और छलो ।
तुम भी सपने संग न लिपटो,
नकटे निकल चलो।
ओ मेरे प्रात के सपने....
इस ठगनी की चंचल चितवन,
हमका गई बिलो।
ओ मेरे प्रात के सपने...
सपने की हानि क्या हानि,
काहे लाभ मिलो?
ओ मेरे प्रात के सपने......
वह जिसने हमको बाँथा था,
कहीं नहीं हैं वो ।
ओ मेरे प्रात के सपने