भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कर अनरीति तज दीनी राजनीति जिन्ना / नाथ कवि
Kavita Kosh से
कर अनरीति तज दीनी राजनीति जिन्ना।
सूझे नीति पंथ नाहिं दिन का जु फेरा है॥
मान सान गारत भई है सब भारत में।
जेबरी गई है जर ऐंठ का बखेरा है॥
झूठे वायदों से ये न मानें अल्प संख्यक ‘नाथ’।
पाकिस्तान हिन्द का तो ये ही निखेरा है॥
होय जो बसेरा सब भाई बन लागै हिये।
तब ही स्वतंत्रता का जानिये सबेरा है॥