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कविता और तुम / सुतिन्दर सिंह नूर

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मैं उतना ही तुम्हें जानता हूँ
जितना कविता को जानता हूँ
मैं जितना कविता को नहीं जानता
उतना ही तुम्हें नहीं जानता।

मूल पंजाबी भाषा से अनुवाद : शांता ग्रोवर