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कविता यूं ही नहीं आती / प्रताप सहगल
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कविता यूं ही नहीं आती है
खून से सींचना
कविता को
यह मामूली बात है,
कविता तो
हड्डी-हड्डी को खाती है
कविता यूं ही नहीं आती है।
1985