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कितने दिन के बाद मिला है प्यारा मन / रंजना वर्मा

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कितने दिन के बाद मिला है प्यारा मन
साथ मिला आकर अब यह अनियारा मन

कितनी बार कहा संकट से दूर रहो
किन्तु भला कब संघर्षों से हारा मन

घोर निराशाओं ने जब भी घेर लिया
अँधियारे में भी बनता उजियारा मन

आती रहीं तोड़ने को नित बाधाएँ
बनता रहा हमेशा सहज सहारा मन

किस्मत ने जो दिया उसी में सुख माना
नित अभाव में करता रहा गुजारा मन

तुम को जब पाया अर्पित सब कर डाला
हम को किया प्रतिष्ठित हुआ हमारा मन

होते रहे विवाद नहीं उन में उलझा
वैमनस्य से करता रहा किनारा मन