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किसे आना था ? / महेश उपाध्याय

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मान जा रे मन !
हठीले मान जा
तोड़ दे चट्टान-सी ज़िद
छोड़ दे बचपन
किसे आना था ?

हवा आने का
भुलावा दे गई
गीत गाने का
बुलावा दे गई
देख छायाहीन अब तक
दरपनी आँगन
किसे आना था ?

अब नदीपन कहाँ ?
सागर के लिए
खिंच गए हैं
दो तिहाई हाशिए
अब न उन पाँवों रही वह
लहर संजीवन
किसे आना था ?