भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कुछ गीत तो मैंने / गुलाब खंडेलवाल
Kavita Kosh से
कुछ गीत तो मैंने
तुम्हें गाकर सुनाये हैं,
और कुछ गीत
तुमसे यत्नपूर्वक छिपाए हैं,
पता नहीं, दोनों में
कौन-से तुम्हें भाये हैं!