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केवल मैं जानता हूं / ओम पुरोहित ‘कागद’
Kavita Kosh से
अपनी
ज़मीन से
जुड़ा रहना
कितना जरूरी है
आप जानते हैं
या मैं जानता हूं
परन्तु
मेरे पैरों तले
ज़मीन कितनी
चिकनी है
फ़िसलने का
खतरा कितना है
यह केवल मैं जानता हूं
आप कहां जानते हैं
अनुवाद-अंकिता पुरोहित "कागदांश"