Last modified on 13 अगस्त 2008, at 23:28

कौन कहता है / महेन्द्र भटनागर

कौन कहता है कि मेरे चांद में जीवन नहीं है ?

चांद मेरा खूब हँसता, मुसकराता है,
खेलता है और फिर छिप दूर जाता है,

कौन कहता है कि मेरे चांद में धड़कन नहीं है ?

रात भर यह भी किसी की याद करता है,
देखना, अक्सर विरह में आह भरता है,

कौन कहता है कि मेरे चांद में यौवन नहीं है ?

है सदा करता रहा संसार को शीतल,
है सदा करता रहा वर्षा-सुधा अविरल,

कौन कहता है कि मेरे चांद में चन्दन नहीं है ?