भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कौन कहाँ कौ राव / शृंगार-लतिका / द्विज

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सोरठा
(कवि की प्रस्ताविक उक्ति अपने प्रति)

कौन कहाँ को राव, कहा बापौरे सुरभि मैं ।
नाँहक करि चित-चाव, कत बसंत बरनन करौ ॥५०॥