सोरठा
(कवि की प्रस्ताविक उक्ति अपने प्रति)
कौन कहाँ को राव, कहा बापौरे सुरभि मैं ।
नाँहक करि चित-चाव, कत बसंत बरनन करौ ॥५०॥
सोरठा
(कवि की प्रस्ताविक उक्ति अपने प्रति)
कौन कहाँ को राव, कहा बापौरे सुरभि मैं ।
नाँहक करि चित-चाव, कत बसंत बरनन करौ ॥५०॥