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कौन मानेगा / नील कमल
Kavita Kosh से
जानता हूँ
सुबह का यह सूरज
ढल जाएगा शाम तक
लेकिन इस बीच
दोपहर की लम्बी तपन में
हड्डियों के पसीजने की बात
कौन मानेगा ?