भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कौसानी के असीम सौन्दर्य में / केशव तिवारी
Kavita Kosh से
कौसानी के असीम सौन्दर्य में
डूबा मैं
पहाड़ की चोटियों पर
बादलों ढका चाँद देख रहा हूँ
कपिलेश भोज तुम्हारी बेचैन आँखों में
देखा पहाड़ कहीं बीच-बीच में
आ रहा है बार-बार