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ख़त्म हुई बात / अनिरुद्ध नीरव

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एक खड़ी पाई
के आगे
     ख़त्म हुई बात

कहने को था
बहुत-कुछ मगर
हो न सके
भाषा के बाजीगर
     सिर्फ़ जगहँसाई
     के आगे
        ख़त्म हुई बात

हमने तो थी
सिर्फ़ साँस ली
और किया
     अल्प था विराम
किन्तु उधर से
उँगली यूँ उठी
जैसे हो
     वाक्य ही तमाम

     खड़ी चौधराई
     के आगे
        ख़त्म हुई बात

सारे हक़
हर्फ़ों में
     टँक गए
मौक़े पर ये
काले भेड़ हुए अन्ततः
लाठी के
बाड़े में
     हँक गए

     स्याह रौशनाई
     के आगे
        ख़त्म हुई बात ।