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खाना है, खिलाना है / अज्ञात रचनाकार
Kavita Kosh से
खाना है, खिलाना है,
भइया को सुलाना है।
एक घूंट दादा का, एक घूंट दादी का,
एक घूंट चाचा का, एक घूंट चाची का।
गुटर-गुटर गुट!
एक घूंट भइया का, एक घूंट बहना का,
एक घूंट तुम्हार, एक घूंट हमारा।
गुटर-गुटर गुट!
खाना है, खिलाना है,
भइया को सुलाना है।