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खिलते हैं जब फूल / सुरेश विमल
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खिलते हैं जब फूल
समूची दुनिया हंसती है।
हंसता उपवन हंसता माली
हंसते पेड़ लताएँ
हंसता हंसता पवन अंजुरी
भर-भर गंध लुटाए।
ओढ़ चुनरिया रंगों की
धरती माँ सजती है।
खिली पंखुड़ी चूम-चूम कर
नटखट तितली नाचे
रह-रहकर मंडराता भौंरा
रस की पोथी बांचे।
मधुमक्खी के भन-भन भन
ठुमरी-सी लगती है।