भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
खुदी / नीना कुमार
Kavita Kosh से
मेरे हाल-ए-अक़्ल का भला कोई गवाह क्यूँ हो
किसीके फैसले-ए-ज़िन्दगी इतनी सलाह क्यूँ हो
कह दो जो है कहना- कोई कितना बदगुमाँ हो
खुदी पे गर हो भरोसा, तो फिर परवाह क्यूँ हो