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ग़ैरहाज़िरी / सिनान अन्तून
Kavita Kosh से
जब
तुम चली जाती हो
मुरझा जाती है यह जग।
मैं
इकट्ठा करता हूँ
उन बादलों को
जो छितरा गए हैं तुम्हारे होठों से।
लटका देता हूँ उन्हें
अपनी स्मृति की दीवार पर
और इन्तज़ार करता हूँ
एक और दिन का।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : मनोज पटेल