भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गाँधी जी कहते हे राम! / रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’
Kavita Kosh से
राम नाम है सुख का धाम।
राम सँवारे बिगड़े काम।।
असुर विनाशक, जगत नियन्ता,
मर्यादापालक अभियन्ता,
आराधक तुलसी के राम।
राम सँवारे बिगड़े काम।।
मात-पिता के थे अनुगामी,,
चौदह वर्ष रहे वनगामी,
किया भूमितल पर विश्राम।
राम सँवारे बिगड़े काम।।
कपटी रावण मार दिया था
लंका का उद्धार किया था,
राम नाम में है आराम।
राम सँवारे बिगड़े काम।।
जब भी अन्त समय आता है,
मुख पर राम नाम आता है,
गांधी जी कहते हे राम!
राम सँवारे बिगड़े काम।।