Last modified on 9 जून 2011, at 18:42

गीतावली सुन्दरकाण्ड पद 21 से 30 तक/पृष्ठ 10

(30)

महाराज रामपहँ जाउँगो |
सुख-स्वारथ परिहरि करिहौं सोइ, ज्यौं साहिबहि सुहाँउगो ||

सरनागत सुनि बेगि बोलि हैं, हौं निपटहि सकुचाउँगो |
राम गरीबनिवाज निवाजिहैं जानिहैं, ठाकुर-ठाउँगो ||

धरिहैं नाथ हाथ माथे, एहितें केहि लाभ अघाउँगो |
सपनो-सो अपनो न कछू लखि, लघु लालच न लोभाउँगो ||

कहिहौं, बलि, रोटिहा रावरो, बिनु मोलही बिकाउँगो |
तुलसी पट ऊतरे ओढ़िहौं, उबरी जूठनि खाउँगो ||