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गीतावली सुन्दरकाण्ड पद 31 से 40 तक/पृष्ठ 3

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हिय बिहसि कहत हनुमानसों |
सुमति साधु सुचि सुहृद बिभीषन बूझि परत अनुमानसों ||

"हौं बलि जाउँ और को जानै ?कही कपि कृपानिधानसों |
छली न होइ स्वामि सनमुख, ज्यों तिमिर सातहय-जानसों ||

खोटो खरो सभीत पालिये सो, सनेह सनमानसों |
तुलसी प्रभु कीबो जो भलो, सोइ बूझि सरासन-बानसों ||