भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल'
Kavita Kosh से
गोपाल कृष्ण भट्ट
जन्म | 18 जून 1955 |
---|---|
उपनाम | आकुल |
जन्म स्थान | महापुरा, जयपुर, राजस्थान |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
पत्थरों का शहर (गीत ग़ज़ल और नज़्में), जीवन की गूंज (कविता) प्रतिज्ञा (कर्ण पर आधारित नाटक), नवभारत का स्वप्न सजाएँ (2016), जब से मन की नाव चली (2016), चलो प्रेम का दूर क्षितिज तक पहुँचाएँ संदेश (2018), हौसलों ने दिये पंख (2020) | |
विविध | |
पत्र-पत्रिकाओं में नियमित प्रकाशन, शब्द श्री, काव्य केसरी, विवेकानंद सम्मान, साहित्य श्री, साहित्य मार्तंड, साहित्य शिरोमणि, विद्या वाचस्पति (अधिकृत उपाधि), रवींद्रनाथ ठाकुर सारस्वत सम्मान, भारतीय भाषा रत्न उपाधि, शब्द भूषण, साहित्य भूषण, विद्या सागर साहित्य सम्मान, पद्मभूषण नीरज सम्मान, साहित्य मनीषी उपाधि, विद्योत्तमा साहित्य सम्मान, छंद श्री, मुक्तक लोक गौरव, मुक्तक लोक भूषण, मुक्तक लोक गीत रत्न सहित लगभग 30 सम्मान एवं उपाधियाँ | |
जीवन परिचय | |
गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल' / परिचय |
कविता संग्रह
ग़ज़लें
- इस शहर में कोई / गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल'
- करम कर तू ख़ुदा को/ गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल'
- दरख़्त धूप को साये में / गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल'
दोहे
- गणेशाष्टक / गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल'
- मधुबन माँ की छाँव/गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल'
- पितृ महिमा / गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल'
- काक बखान / गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल'
- गुरुवे नम:/गोपाल कृष्ण भट्ट
- पावस दोह /गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल'
हिन्दी कविताएँ
- सृजन करो / गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल'
- पानी पानी पानी / गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल'
- माँ / गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल'
- धरती को हम स्वर्ग बनायें / गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल'
- मेरे देश में / गोपाल कृष्ण भट्ट
- मंगलमय हो / गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल'
- आधारशिला रखना है / गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल'
- आने वाला कल / गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल'
- मत कर नारी का अपमान / गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल'
- भ्रष्टाचार खत्म करने को/गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल'
- आती है दिन रात हवा/ गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल'
- भारत मेरा महान्/ गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल'
- तुम सृजन करो/ गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल'
- यह शहर/ गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल'
- याद बहुत ही आती है तू/ गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल'
- पत्थरों का शहर (कविता) / गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल'
- अंजामे गुलिस्ताँ क्या होगा / गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल'
- कुछ इस तरह मनायें छब्बीस जनवरी इस बार / गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल'