भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
घड़ियाल / चन्द्र प्रकाश श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
नदी में पर्याप्त जल था
सीपों, मछलियों
और तमाम जलजीवों के लिए
पर घड़ियालों को चैन कहाँ
गटक गए
सबके हिस्से का पानी
अपने समुंदरसोख पेट में