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घर-1 / अरुण देव
Kavita Kosh से
सबसे पहले फावड़ा आया एक झुके हुए मज़दूर के कन्धे पर
फावड़े ने झुक कर कहा धरती से
मिट्टी चाहिए
मज़दूर के नाख़ूनों से मिट्टी का पुराना परिचय ठहरा
उसे पता था कहाँ से लेनी है मिट्टी, कहाँ की लेनी है मिट्टी, कितनी लेनी है मिट्टी
मिट्टी भुरभुराई और उसके अंगोछे में आ बैठी
सिर पर प्रतिमा की तरह ले जाते उस भगीरथ को ज़रा देखो
सारी इमारते उसी की लाई हुई हैं ।