भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चिड़िया / कल्पना सिंह-चिटनिस

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


चिड़िया अपने पंखों पर
उतार लाती है धूप
हर सुबह।

चोंच भर दाने के लोभ में
नहीं आती चिड़िया

चिड़िया आती हैं,
घर की छत पर ठहरे
पानी में नहाती है,

और छोड़ जाती है
ढेर सारा सुख।

चिड़िया जो करती है रोज
कितना मुश्किल है
हमारे लिए।