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चिड़ियाँ और कविताएँ-4 / कुमार विकल
Kavita Kosh से
पिछले साल
ठीक इन्हीं दिनों
जो परदेसी परिंदे आए थे
तुमने उनमें से एक चिड़िया को लक्षित किया था
और उसे एक साँवला—सा नाम दिया दे था.
इस बार भी सभी परिंदे आए हैं
सिर्फ़ वही चिड़िया नहीम है
जबकि तुमने
उसके स्वागत के लिए
एक नया नाम रच लिया था
और अपनी नई कविताएँ
उसको समर्पित करने का फ़ैसला कर लिया था.