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चितकबरे घोड़े के लिए कविता / बद्रीनारायण

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सच बोलना चितकबरे
नाध से, चाबुक से, एड़ी से सच बोलना
सवारी से तो ज़रूर सच बोलना
जई से, खल्ली से सच-सच बोलना

सच सुने कई दिन हो गए
सच देखे कई दिन हो गए।