भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

छोटा सा बलमा मोरे / कांतिमोहन 'सोज़'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

छोटा सा बलमा मोरे
आँगना में गिल्ली खेले I

पनिया भरन जाऊँ वो कहे
मोहे गोदी ले ले I
छोटा सा बलमा मोरे
आँगना में गिल्ली खेले II

गोदी उठाऊँ तो वो
यूँ कहे मोहे ले चल मेले I
छोटा सा बलमा मोरे
आँगना में गिल्ली खेले ।।

मेले ले जाऊँ तो
जुल्मी कहे कहीं चल अकेले I
छोटा सा बलमा मोरे
आँगना में गिल्ली खेले ।।

कैसे बताऊँ मेरी
जान को हैं सौ झमेले I
छोटा सा बलमा मोरे
आँगना में गिल्ली खेले ।।

अपने इलाक़े (उत्तराखण्ड के हल्द्वानी इलाके) के एक लोकगीत के आधार पर