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जब क़दम आसमान में रखना / ईश्वरदत्त अंजुम
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जब क़दम आसमान में रखना
कुछ तवाजुन उड़ान में रखना
मवड़ी फ़िक्र-ए-सुख़न के शह-बाज़ो
खुद को ऊँची उड़ान में रखना
ज़ुल्फो-आरिज़ का जिक्र चलता रहे
ताज़गी दास्तान में रखना
मौसमों से भी रस्मो-राह रहे
खिड़कियां कुछ मकान में रखना
कोई कितना सगा भी बन जाये
फ़ासिला दरमियान में रखना
ऐ ख़ुदा! अम्न चैन खुशहाली
मेरे हिन्दोस्तान में रखना
हक़-नवाई न छोड़ना 'अंजुम'
फ़र्ज़ शायर का ध्यान में रखना।