भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जवाब / वंदना मिश्रा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तुम्हारे तीरों के जवाब में
फेकना था एक तीखा भाला
तुम्हारी तरफ

मैंने गुस्से में खोला
अपना शस्त्रागार

पर वहाँ सिर्फ
आँसू, फूल और दुआएँ थी
वही दे पाई तुम्हें