भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ज़िन्दगी भर समारोह ज़िन्दगी के / हेमन्त शेष

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ज़िन्दगी भर

समारोह ज़िन्दगी के ख़त्म होते नहीं

पर ख़ुशी से

ज़िन्दा रहने को

हर दिन सवेरे

ढूंढना पड़ता है

उपलक्ष्य