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जिद्दी मक्खी / दिविक रमेश
Kavita Kosh से
कितनी जिद्दी हो तुम मक्खी
अभी उड़ाती फिर आ जाती!
हां मैं भी जिद्दी लेकिन
मां मनाती झट मन जाती।
मां तेरी समझाती होगी
जैसे मां मेरी समझाती।
जो बच्चे होते हैं जिद्दी
उनको अक्ल कभी ना आती।
अगर स्कूल तुम जाती होती
तुम भी समझदार बन जाती।
अच्छी-अच्छी बातें कितनी
टीचर जी तुमको समझाती!