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जिसको देखो ख़ुशी का तलबगार है / सिया सचदेव

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जिसको देखो ख़ुशी का तलबगार है
सोचिये तो कहाँ कोई ग़मख्वार है

चारसू रह गयी है घुटन ही घुटन
साँस लेना भी अब मेरा दुश्वार है

आप सुनते कहा हो जो मैं कुछ कहू
आप से सर खपाना ही बेकार है

आप की हर ख़ुशी के लिए हमसफ़र
जाँ लुटाने की ख़ातिर भी तैयार है

आज तक एकभी झूठ बोला नहीं
मेरे जैसा कोई भी गुनाहगार है

रिश्ते नाते कभी काम आये नहीं
मेरे ग़म का कोई भी खरीदार है

हाथ फैलाना तो उसने सीखा नहीं
वो गरीबी में भी इतना खुद्दार है'

मौत का ज़िक्र भी छोड़ दू पर सिया
ज़िंदगी ही कहाँ अब तरफदार है