भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जीवन क्या है? / द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी
Kavita Kosh से
जीवन क्या है?
वह टेढ़ी-मेढ़ी सी रेखा,
प्रथम और अंतिम
दो श्वास-बिन्दुओं को जो
मिला रही है।
और मृत्यु क्या?
वह है एक सरल रेखा-सी
अंतिम और प्रथम
दो श्वास-बिन्दुओं को जो
मिला रही है।
जून, 1961