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जैसे आई है घर में बहार / ब्रजमोहन

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जैसे आई है घर में बहार
सजन हमके मिल गईलीं चिठिया तोहार ...

तेरी पाती है मेरा कलेजा
बेच कर ख़ून तूने जो भेजा
उसमें है सारी दुनिया का प्यार ...

भूख से लड़के न टूट जाना
दो बखत पेट-भरकर के खाना
चुकता हो जाएगा सब उधार ...

तेरा शहर भी निकला धुएँ का
जैसे सूखा है पानी कुएँ का
है वहाँ भी वही मारा-मार ...

मेरे हाथों में ताक़त है तेरी
सारी दुनिया ही है जब अन्धेरी
क्यूँ न सुलगेंगे मन के अँगार ...