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जो मिरा इक महबूब है । मत पूछिए वो क्या खूब है /
आँखें उसकी काली हँसी, दो डग चले बस डूब है /
पकड उसकी सख्त है । पर छूना उसका दूब है /
हैं पाँव उसके चँचल बहुत, रूकें तो पाहन बाख़ूब हैं