Last modified on 19 जुलाई 2020, at 23:52

झोपड़ी के वह लाल हैं / कैलाश झा 'किंकर'

झोपड़ी के वह लाल हैं।
खूबसूरत कमाल हैं॥

बेवजह आप भी यहाँ
काटते क्यों वबाल हैं।

सोचते देश के लिए
लोग जो बेमिसाल हैं।

लाल, पीले जो चाहिए
माँगिए सब गुलाल हैं।

दीजिए तो जवाब भी
सामने जो सवाल हैं।