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टिफिन खुल गया बस्ते में / रमेश तैलंग
Kavita Kosh से
एक मुसीबत खड़ी हो गई
टिफिन खुल गया बस्ते में।
च्...च् गलती बड़ी हो गई
टिफिन खुल गया बस्ते में।
सब्जी में था तेल-मसाला,
ढक्कन था कुछ ढीला-ढाला।
यही बड़ी गड़बड़ी हो गइ
टिफिन खुल गया बस्ते में।
रैंगी किताबें सब हल्दी में
उफ, मम्मीजी की जल्दी में।
किस्मत अपनी सड़ी हो गई
टिफिन खुल गया बस्ते में।
गलत मुहूरत निकला घर से
अब क्या बोलूँगा टीचर से।
आफत की हर घड़ी हो गई
टिफिन खुल गया बस्ते में।