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टूट गया इकतारा / मधुरिमा सिंह

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टूट गया इकतारा
जोगी,
टूट गया इकतारा
झूठे प्रेम को गाते-गाते, टूट गया इकतारा
एक नाम को जपते-जपते, छूट गया जग सारा
तन का भोगी जीता अक्सर, मन का जोगी हारा
क्षितिजों के संग भाग-भागकर, मन हारा बेचारा
हर बादल से पानी माँगे, प्यासा सागर खारा
नगरी-नगरी ढूँढे तुझको, आँखों का बंजारा
जलते-जलते चटकी लकड़ी, छिटक गया अंगारा
नैनों की नैया ले डूबा, सपनों का मछुवारा
मधु साँसों के पंछी ने तो, सोनल पंख पसारा