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टेलिविजन / नवारुण भट्टाचार्य
Kavita Kosh से
एक चौकोर आयतन
एक तरफ पर्दा
एक दैनिक ताबूत
ताबूत के भीतर
जो हँसते हैं, ख़बर पढ़ते हैं,ख़बर होते हैं
उनकी विचित्र करामातें
बहुत पसंद हैं जो जीते जी मरे लोगों को
एक ठंडे स्टूडियो से
मरी हुई सिने तारिका का प्रेम
अँधेरे टावर से
भेजा जाता है
उसे देखकर बच्चे और बच्चों की माँएँ
ख़ुश होती हैं।
मृतक की दूरदृष्टि
इस दैनिक ताबूत के पर्दे पर
मृत डालफ़िन का खेल
रोज़ चौकोर ताबूत के पर्दे पर
मृत्यु कितनी दूरदर्शी है
इस चौकोर बक्से के भीतर।
मृत फ़िल्मी तारिका के माँस की खोज में
कई तिलचट्टे और एक चूहा
ताबूत में घुसकर
देखते हैं तारों और ट्राँज़िस्टरों की
एक जटिल समाज व्यवस्था।